गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

सोचें क्या होगा ?

विकास की सही सूरत: शौचालय या मोबाइल

भारत की 45 प्रतिशत आबादी के पास क़रीब 55 करोड़ मोबाइल फ़ोन हैं. लेकिन हम वर्ष 2008 के आँकड़ों को देखें तो पता चलेगा कि देश की मात्र 31 प्रतिशत आबादी के पास सुधरी हुई सफ़ाई व्यवस्था मौजूद है.

ऐसा क्यों है ... क्या ये सही है... क्यों लोग हर साल ख़राब होने वाले हैंड सेट पर तो ख़र्च करने तैयार हैं ... पर पूरे परिवार के स्वास्थ्य सुविधा के लिए ज़रूरी शौचालय पर नहीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ़ के अनुसार अगर ताज़ा आंकड़ों की दिशा और रफ़्तार यही रही तो क़रीब एक अरब लोगों को सफ़ाई व्यवस्था पहुँचाने के वर्ष 2015 तक के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा पाएगा.

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